नूरपुर. नूरपुर के ऐतिहासिक किले में समाहित पहाड़ी एवं मुगल कला के बेजोड़ नमूनों के अवशेष आज भी नूरजहां की नगरी के गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं। नूरपुर किले के इतिहास को खंगालने में जुटी पुरातत्व विभाग की टीम हर उस पहलू को मद्देनजर रखकर मिट्टी के नीचे दबे किले के भग्नावशेषों की बनावट को जानने के लिए वैज्ञानिक तरीके से खुदाई करा रही है। सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ऑकरेलॉजी नई दिल्ली ने नूरपुर किले के इतिहास से रूबरू कराने के लिए पुरातत्व विभाग को खुदाई का जिम्मा सौंपा है। पुरातत्व विभाग की संरक्षण शाखा मिट्टी के नीचे दबे किले के अवशेषों का उसी बनावट में नवनिर्माण करेगी। नूरपुर किले की नींव राजा बसु ने पैठन (वर्तमान पठानकोट) से अपनी राजधानी नूरपुर स्थानांतरित करते हुए रखी थी, जिन्होंने 1580 ई. से 1613 ई. तक यहां पर राज्य किया। यह भी माना जाता है कि सर्वप्रथम नूरपुर पर तोमर सम्राट जेठपाल ने राजा बसु के अधीन अपनी राजधानी स्थापित कर शासन किया। इसके बाद नूरपुर पर सूरजमल (1613-18 ई.), जगत (1619-46 ई.), राजा रूप (1646-61 ई.), मानघाता (1661-1700 ई.), दयाघाता (1700-1735 ई.), पृथी सिंह (1735-89 ई.) और राजा वीर सिंह ने (1789-1815 ई.) ने शासन किया।
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